अन्याय, शोषण और ज़ुल्म के विरुद्ध जीवन भर संघर्ष करनेवाले महामानव थे भगवान बिरसा मुंडा

अन्याय, शोषण और ज़ुल्म के विरुद्ध जीवन भर संघर्ष करनेवाले महामानव थे भगवान बिरसा मुंडा



 नीमच।भगवान बिरसा मुंडा ने स्वतंत्रता के संघर्ष में वो ही कार्य किया जो स्वामी विवेकानंद और सुभाष चन्द्र बोस ने आजादी के लिए किया था। जनजातीय गौरव, आदिवासी समुदाय की अस्मिता और संस्कृति के संरक्षक  थे भगवान  बिरसा मुंडा। उन्होंने खुद के साथ ही उन हजारों आदिवासियों को पुनः अपने धर्म में लाने का महान कार्य किया जो ईसाई बन चुके थे। उक्त उद्गार जिले के अग्रणी पी.एम.कालेज आफ एक्सीलेंस स्वामी विवेकानंद शासकीय महाविद्यालय में जनजातीय गौरव पखवाड़ा के समापन और पुरस्कार वितरण समारोह में उपस्थित अतिथियों ने व्यक्त किए। समापन समारोह के मुख्य अतिथि महा.जनभागीदारी समिति अध्यक्ष विश्व देव शर्मा ने कहा कि बिरसा मुंडा कर्म करने में विश्वास करते थे। उन्होंने बहुत ही पराक्रम और साहस के साथ अपने जल जगंल और जमीन पर  आदिवासियों का अधिकार लौटाने हेतु अंग्रेजों से युद्ध किया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में जिला आबकारी अधिकारी बी.एल. सिंघाड़ा, पार्षद  दुर्गा प्रसाद भील  एबीवीपी के अमन पाडें आदि ने भी संबोधित किया।  कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ प्रशांत मिश्रा ने करते हुए कहा कि बिरसा मुंडा जी  के व्यक्तित्व के गुणों को आज की युवा पीढ़ी को आत्मसात करने की आवश्यकता है।

    गौरव पखवाड़ा में क्विज प्रतियोगिता में प्रथम स्थान अर्जुन सिंह सोलंकी, द्वितीय स्थान उम्मेद सिंह तृतीय स्थान मोइनुद्दीन ने प्राप्त किया । रांगोली प्रतियोगिता में नेहा परमार प्रथम, आशा मेघवाल द्वितीय तथा आशा मोंगिया ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। इसी तरह भाषण प्रतियोगिता में प्रिंस शर्मा ने प्रथम और राधा गुर्जर ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। चित्रकला प्रतियोगिता में मोइनुद्दीन ने प्रथम स्थान पाया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में प्राध्यापक, कार्यालय स्टाफ और विद्यार्थी उपस्थित थे ।कार्यक्रम का संचालन डॉ संजय जोशी ने तथा आभार डॉ सी पी पंवार ने माना।